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लेखनी कहानी -30-Jun-2024

शीर्षक - मेरा भाग्य और कुदरत के रंग ********************************* मेरा भाग्य और कुदरत के रंग जीवन के एक सच होते है । विरासत की हकदार मैं भी हूं यह इसलिए हम कहानी में जोड़ रहे हैं क्योंकि आजकल हम सभी बेटे की चाहत में बेटियों के साथ नाइंसाफी आज भी कर रहे हैं क्योंकि हम सभी जीवन बेटे की चाहत इसलिए कि वह घर और हमारे वंश संपत्ति जीवन का नाम रोशन करेगा। सच बहुत कड़वा होता है और हम सभी सच को छुपा कर दिखावा करते हैं सच कहने के साथ-साथ हमारे मन में मोह माया और जीवन के प्रति मेरा मेरा रहता है और एक समाज के साथ-साथ हम सभी को एक दूसरे की बुराई और एक दूसरे क प्रतिे ईर्ष्या और जलन रहती है क्योंकि हम सभी जीवन में अपने अपने स्वार्थ चाहते हैं। राजन और रीता की नई-नई शादी होती है और भरे पूरे परिवार में उसके माता-पिता की बहुत देखभाल और स्वागत और पसंद करते हैं राजन एक बाजार के बिजनेस में था और वह घर से बाहर ही रहता था। राजन पर घर में एक होटल की तरह जाता और आता था करता भी क्या उसकी नौकरी भी बाजार के बिजनेस की जिम्मेदारी थी। रीता ने भी घर के माहौल से समझौता कर लिया था। जब रात को राजन घर आता था पूरे दिन की माहौल की बातें रीता से पूछता था। जीवन तो सभी का एक समान होता है परंतु घर परिवार में अगर एक दूसरे के प्रति जिम्मेदारी और सोच समझ होती है तब घर कुशल और तरक्की वाला होता है क्योंकि जीवन में मानवता और रीति रिवाज हर मनुष्य को विरासत में हीं मिलते हैं। रीता भी राजन से कहती हैं। रीता भी कहती है कि बेटी और बहु किसी भी घर की हो विरासत की हकदार तो वह भी होती है क्योंकि बहू या बेटी किसी का वंश चलती है तो क्या जन्म देने के साथ-साथ वह जीवन में केवल जन्म देने के लिए हकदार है और वह विरासत की हकदार नहीं है ऐसे रीति रिवाज के साथ सच तो यह है मैं भी विरासत की हकदार हूं हम नई किसी की पत्नी किसी की बेटी किसी की मां हर रूप में नारी अपने जीवन में त्याग बलिदान किसी न किसी रूप में करती है परंतु मेरा भाग्य और कुदरत के रंग एक सच है कि नारी हर युग में केवल बलिदान देती आई है और आज भी हम सभी समाज के साथ जीवन जीते हैं और आधुनिक युग में आज भी हमारी सोच केवल बेटा बेटी के भेदभाव पर अटकी हुई है परंतु जीवन में हम सभी जानते हैं कि बिना नारी और बिना बेटी बहू के घर संसार सुनसान है। हमारे पुराण वेद सभी कहते हैं नारी शक्ति और नारी की जरूर मेरा भाग्य और कुदरत के रंग एक सच है परंतु आज हम सभी आधुनिक होने के साथ-साथ मां भागों में बेटा बेटी का भेदभाव आज भी बना रहता है जबकि समाज का सच यही है कि हम बेटा बहू में भी करते हैं और अपनी बेटी को सबसे पहले स्थान देते हैं और यह भूल जाते हैं की बेटी भी किसी घर की बहू है और अगर हमारे यहां बेटियां बेटियां हैं तो यह हम सोचे की बेटी ही दामाद को लेगी और दामाद भी बेटा होता है यह हम बेटे के लिए बहु ले आते हैं तो वह भी एक जीवन की पूरक होती है तो सोचें बेटी या बहू दोनों ही एक दूसरे के पूरक हैं। मैं भी विरासत की हकदार हूं यह एक सच है क्योंकि हम जीवन में पति-पत्नी मां बेटा बहु सभी जीवन में सभी विरासत के हकदार होते हैं परंतु आज के आधुनिक युग में हम आज भी रूढ़िवादिता की सोच सकते हैं इस रूढ़िवादिता को हम शब्दों के लेखन से समाज तक संदेश देना चाहते हैं। मेरा भाग्य और कुदरत के रंग एक सच कहते हैं। कि जीवन के साथ और हम सभी जानते हैं कि बेटी या बहू हमेशा घर के जिम्मेदारी और मर्यादा का ध्यान रखते हैं परंतु हम सभी आर्थिक स्तर और आर्थिक रूप से कहीं ना कहीं भटकाव के साथ जीवन में रहा भटक जाते हैं परंतु मैं भी विरासत की हागदार हूं बहू और बेटी हुई विरासत में अपना दायित्व निभाते हुए अपनी जिंदगी जीती है। हम सभी को जीवन में नारी का सम्मान करना चाहिए और नारी भी जीवन में जिस घर में जन्म लेती है उस विरासत में हकदार होती है। जीवन में हम सभी एक सच जानते हैं। कि नारी और महिला या औरत शब्दों के साथ साथ हम सभी जानते हैं । परन्तु रिश्ते नाते और हमारा भाग्य और कुदरत के रंग से जुड़ा हमारी सोच है। आज हम सभी बेटी को पराया धन या पराये घर की बेटी समझ कर मानसिकता को उसके जन्म से मन भावों में ऐसा सोच लेते हैं। जबकि सबको एक सच समझना हैं बेटा या बेटी बहु सब एक रिश्ते नाते हैं बस हम अपनी सोच से ही करीब और दूर हो जातें हैं बेटे की पत्नी भी किसी की बेटी है सच बेटी और बहु में फर्क केवल हमारी सोच और समझ ही बनती है हमारे स्वयं के बच्चे अच्छा बुरा समझते हैं। और हम सभी बेटी को जन्म से लेकर पालन पोषण तक मन में पराया धन मान कर परवरिश करते हैं। जबकि सच तो हमारी सोच होती हैं। आज आधुनिक युग में भी हम जीवन को एक मेरा भाग्य और कुदरत के रंग एक सच रहता हैं। क्योंकि हम सभी एक सामाजिक जीवन जितनी बेटी की जरूरत है उतनी ही जरूरत बेटे की भी होती हैं। हां बस इतना है कि नारी का सम्मान कर जाए नारी को बेबस और लाचार न समझकर उसको जीवन में एक महत्वपूर्ण समझा जाए। हमारा समाज हम सब एक सफलता की दिशा में खुशहाली के साथ जीवन जी सकते हैं और मेरा भाग्य और कुदरत के सच में हम रोज एक नई कहानी के साथ आपको प्रेरणात्मक संदेश के साथ-साथ भाग्य और कुदरत का सच रहता है।


नीरज कुमार अग्रवाल चंदौसी उ.प्र

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4 Comments

madhura

21-Sep-2024 03:11 PM

V nice

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Babita patel

02-Jul-2024 10:28 AM

V nice

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shweta soni

30-Jun-2024 11:29 PM

👌👌

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